भगत सिंह को फाँसी कब दी गयी । भगत सिंह: एक क्रांतिकारी की कहानी
आज हम एक महान भारतीय क्रांतिकारी, शहीद भगत सिंह की अद्वितीय कहानी पर प्रकाश डालेंगे।
**बचपन और उनकी आत्मकथा:**
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को हुआ था। उनके बचपन का समय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों के उत्थान का था, जिसने उनमें राष्ट्रभक्ति की ऊर्जा भरी।
**क्रांतिकारी युग:**
1930 में, भगत सिंह, सुखदेव, और राजगुरु ने भारतीय दंड संहिता के तहत अपनी शिकारी अंग्रेजी सरकार के खिलाफ संघर्ष में शामिल हो गए। उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई, जिसे वह अपनी आत्मा के साथ बहादुरी से स्वीकार करते हैं।
**आखिरी इच्छा और विदाई:**
उनकी आखिरी इच्छा थी कि उन्हें फाँसी के पहले लेनिन की जीवनी पूरी हो। जब उनसे इसका सवाल किया गया, तो उन्होंने मनोबल से जवाब दिया और फाँसी की ओर बढ़े।
**अंतिम समर्थन और महात्मा गांधी का प्रभाव:**
उनकी मौत ने उम्मीद और स्वतंत्रता के लिए एक नया प्रेरणा स्रोत खोला। भगत सिंह की कुर्बानी ने गांधीजी को भी प्रभावित किया, जिन्होंने सजा माफी की मांग की, लेकिन भगत सिंह ने इसे नकारा।
**अमरता का सन्देश:**
उनकी फाँसी के बाद, उनके शरीर को जलाने की कोशिश के बावजूद, लोगों ने उनकी आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें अमर बना दिया। उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नए आदान-प्रदान को प्रेरित किया।
**समाप्ति:**
इस आर्टिकल से हमने देखा कि भगत सिंह एक सच्चे क्रांतिकारी थे, जिनकी बहादुरी और निष्ठा ने उन्हें अमर बना दिया। उनका संघर्ष और आत्मबलिदान आज भी हमें एक सशक्त राष्ट्र की दिशा में प्रेरित कर रहा है।

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